Swati Sharma

Add To collaction

लेखमंथ प्रतियोगिता 20 से 30 जून -27-Jun-2022:- रिश्तों की बदलती तस्वीर

रिश्तों की बदलती तस्वीर:-

                 साधना जल्दी- जल्दी काम ख़त्म करने में लगी हुई थी। पूरा काम करके थोड़ी देर खिड़की के पास जाकर खड़ी हुई की सहसा उसकी नज़र एक पंछी के जोड़े पर टिक गई। उसके चेहरे पर एक हल्की से मुस्कान बिखर गई। उन्हें और उनके क्रियाकलापों को देखते हुए कहीं अपने अतीत में खो गई। 
                  उसका पहला पति रोहन एक अच्छी खासी कंपनी में मैनेजर की पोस्ट पर अधिनस्थ था। साधना के माता- पिता ने खूब धूम -धाम से उसकी शादी की थी, और उसमे अपनी सारी जमा पूंजी भी लगा दी थी। परंतु, शादी के दूसरे ही दिन साधना को रोहन का चरित्र कुछ ठीक नहीं लगा।
                  चूंकि रोहन की नौकरी किसी दूसरे शहर में थी। वह साधना को अपने साथ वहां ले जाने के लिए भी तैयार नहीं था। जैसे- तैसे वह उसे लेकर भी गया। परंतु, वह हर दिन उसकी बेकद्री करता। उसे नीचा दिखाने का एक भी मौका नहीं छोड़ता। साधना उसके हिसाब से खुद को बदलने की भरपूर कोशिश करती। परंतु, रोहन को कुछ भी रास नहीं आता। तीन महीनों तक यह सिलसिला यूहीं चलता रहा।
                   साधना ने आगे पढ़ाई करने के लिए एक कोचिंग ज्वॉइन कर ली। परंतु, रोहन और उसके घर वालों को वह भी पसंद नहीं आया। वे लोग उसे न किसी से मिलने देना चाहते थे न ही आगे बढ़ने देना चाहते थे।
                   कई बार रोहन को उसने उसके बड़े भाई की पत्नी से देर रात बातें करते सुना। उसको दोनों के मध्य की वार्तालाप से उनके चाल- चलन सही नहीं लगे। फिर भी बेचारी जैसे- तैसे इस उम्मीद में वहां रह रही थी, एक दिन सब ठीक हो जाएगा। उसके पति को उसकी अहमियत ज़रूर पता चलेगी और वह उसे अपना लेगा।
                   परंतु, शायद नियती को कुछ और ही मंज़ूर था। कुछ दिनों का नाम लेकर उसकी सास उनके साथ रहने आई। उसको भी साधना का कोचिंग जाना पसंद नहीं आया। वह रोहन को तरह-तरह से साधना के प्रति सिखाती। रोहन साधना से बेवजह लड़ता और बेचारी साधना उसके तो गले से रोटी भी नहीं निगली जाती थी।
                   एक दिन तो हद ही पार हो गई साधना की तबियत बहुत ज्यादा खराब होने के कारण वह रसोई में भोजन नहीं बना पाई। उसको कमज़ोर जानकर दोनों मां -बेटे ने उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। बात इतनी आगे बढ़ गई कि रोहन ने उसे देर रात को ११ बजे घर से निकल जाने को कहा। इस बार पानी सर से ऊपर जा चुका था। उतने में ही साधना के माता पिता का फोन उसके पास आया और उन्होंने सारी बातें सुन ली।
                  एक रात धैर्य रखकर दूसरे दिन साधना अपने घर चली आई और घरवालों को आप बीती सुनाई। न सिर्फ घरवाले बल्कि सभी रिश्तेदारों ने भी साधना का साथ दिया। और साधना ने रोहन से तलाक ले लिया। उसने अपनी ज़िंदगी फिर से शुरू की, अपने पैरों पर खड़ी हुई और फिर एक दिन उसकी मुलाकात संयम से हुई।
                   संयम बेहद ही सुलझा हुआ और शांत स्वभाव का लड़का था। दोनों के विचार मिले और दोनों ने विवाह बंधन में बंधने का फैसला ले लिया। तभी किसी ने अचानक उसके कंधे पर हाथ रखा। साधना ने पीछे मुड़कर देखा तो उसकी सासू मां ने हाथ बढ़ाकर उसकी जुल्फें सवारीं और प्यार से बोली:-"क्या हुआ बेटा क्या सोच रही हो?" साधना ने कहा:- "आप ही का इंतज़ार कर रही थी।" संयम दोनों के माता- पिता को स्टेशन से लेकर आ गया था। आज साधना और संयम की शादी की पहली सालगिरह थी। सभी ने बहुत ही धूम- धाम से मनाने का फैसला किया था। साधना मुस्कुराई और सोचने लगी सच में यदि उसने रोहन को छोड़ने का फैसला नहीं लिया होता तो आज उसे संयम जैसा पति और इतना प्यार करने वाला उनका परिवार नहीं मिलता।
                   ज़िंदगी ने साधना को रिश्तों की बदलती हुई कितनी तस्वीरें दिखलाई। एक तो उसके पहले पति रोहन और उसकी भाभी के बीच के अवैद्य संबंधों की। दूसरी उसके और रोहन के मध्य के संबंधों की जो उसकी शादी होते ही दूसरे दिन से ही कटुता में बदल गई थी। और तीसरी संयम और उसके परिवार के रूप में मिले साधना के नए परिवार की। जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी, कि उसे यूं ही अचानक से मिल जाएंगे।

**सच ही है आज समय के साथ समाज में रिश्तों की तस्वीर ही बदल गई हैं। कहीं यह तस्वीर सकारात्मक रूप लिए हुए है, तो कहीं पर नकारात्मकता से भरपूर, मानवता को खोखला करने वाली प्रतीत होती है।

मौलिक रचना:-
~स्वाति शर्मा (भूमिका)

#लेखमंथ प्रतियोगिता 20 से 30 जून 2022

   17
8 Comments

🤫

09-Jul-2022 01:28 PM

Intresting

Reply

Swati Sharma

10-Jul-2022 01:15 PM

Thank you

Reply

Raziya bano

28-Jun-2022 09:03 AM

Nice

Reply

Swati Sharma

28-Jun-2022 11:35 AM

Thanks

Reply

Abhinav ji

28-Jun-2022 08:08 AM

Nice

Reply

Swati Sharma

28-Jun-2022 11:35 AM

Thanks

Reply